भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पूछ रहा है / कमलेश द्विवेदी

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:13, 25 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश द्विवेदी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इक बेवफ़ा से कोई पता पूछ रहा है.
किस ओर है ये राहे-वफ़ा वफ़ा पूछ रहा है.

अच्छा न इक मरीज़ हुआ जिससे कभी भी,
उस डॉक्टर से अपनी दवा पूछ रहा है.

पूछा न उसने कुछ भी कभी पास रहा जब,
अब दूर हूँ तो हाल मेरा पूछ रहा है.

क़ातिल के क़त्ल करने का देखें तो सलीका,
मक़्तूल से वो उसकी रज़ा पूछ रहा है.

जिस बात को छुपाना अभी चाह रहा हूँ,
वो बस उसी के पीछे पड़ा पूछ रहा है.

इक बार भी न पूछा कि माँ कैसे मरी पर,
बक्से में उसके क्या-क्या मिला पूछ रहा है.