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सारे शिकवे-गिले जायेंगे / कमलेश द्विवेदी
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थोड़ा-थोड़ा अगर हम जायेंगे.
जायेंगे,सारे शिकवे-गिले जायेंगे.
सोचते हैं कि धीरज धागों से हम,
कब तलक जख़्म दिल के सिले जायेंगे.
आप चाहे न जायें मेरे सँग मगर,
आपकी यादों के काफ़िले जायेंगे.
दूरियाँ-दूरियाँ-दूरियाँ-दूरियाँ,
तोड़िये,टूट ये सिलसिले जायेंगे.
एक ही अर्ज़ है- मुस्कुराते रहें,
मेरे गुलशन के ग़ुल भी खिले जायेंगे.