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हमारे समय का विज्ञान – दो / प्रदीप मिश्र

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हमारे समय का विज्ञान – दो


विज्ञान ने
खेल-खेल में
परीक्षण कर लिया
परमाणु बम का

विज्ञान ने
बात-बात में
तैयार कर दिया
संहारक हथियारों का जख़ीरा

विज्ञान ने
जिद्द-जिद्द में
बढ़ा दिया तापमान
दक्षिणी ध्रूव का

विज्ञान ने
अभ्यास-अभ्यास में
खड़ा कर दिया
आंकड़ों का प्रतिसंसार
जिसमें झूठ
आक्सीजन की ज़गह होती है
 
विज्ञान ने
जिज्ञासा-जिज्ञासा में
बदल दिया रोबोट में हमें
जिसका रिमोट
धनाड्यों के हाथ में थमा दिया

हम चूक गए यह समझने में कि
हमारा प्रिय विज्ञान तो
छूट कर गिर गया था
अंतरिक्ष में कहीं ।