भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कविता-दोय / विनोद स्वामी
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:33, 23 जनवरी 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनोद स्वामी |संग्रह= मंडाण / नीरज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
एक तिरस्यो मिनख
ठंडां री दुकान करै।
एक भूखो मिनख
जळेबी बेचै।
एक घरबायरो आदमी
हेली चिणै।
आ तो कोई अचंभावाळी बात कोनी
पण
एक चापलूस मिनख
कविता लिखै!