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छात-एक / विनोद स्वामी
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छात तो छात है
ऊपर चढै तो नीचै पड़ण रो डर
अर
नीचै बैठै तो ऊपर पड़ण रो।
फेर ई म्हे
ऊपर ई चढां
अर
नीचै ई बैठां।
ऊपर चढां जद
एक पग मंडेरी माथै मेलणो
कोनी भूलां
अर नीचै बैठां जद
कद भूलां
करणी
करड़ी छाती।