भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आओ सा ! बात करां ! / मंगत बादल
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:59, 30 अप्रैल 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKCatGeet}} {{KKRachna |रचनाकार=मंगत बादल |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniRachna...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आओ सा ! बात करां !
शह देवां !मात करां !
कीं तो सरणाटो टूटैलो,
कीं तो रात कटैली ।
बातां मांय सूं बात निकळसी,
कीं तो बात बणैली ।
क्यूं निसासु हुवां, बध आगै,
दो- दो हाथ करां ।
थां री, मेरी, वां री,सब री
अेक ई राम -कहाणी ।
मूंडो तकै अेक दूजै रो,
और नीं आणी-जाणी ।
पकड़ हाथ में हाथ,
अेक दूजै रो साथ करां ।
मूंडो सीम ना बैठ बावळा,
हियै ताकड़ी तोल ।
आ जबान जद खुलै,
तो बणै सबद-सबद अणमोल ।
बड़ा बोल नीं बोलां पण,
जितरी औकात करां ।