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शब्दको किनारैकिनार / अभि सुवेदी

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राती
कति आँशु बगे
थाहा पाइनँ
बिहानको खोलाको स्वाँ ! सुनेपछि
वगेको मन झिक्न
हतारहतार शब्दको किनारैकिनार दौडेँ ।