भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बाजै बीन / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:14, 14 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह=बाजै...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बाजै बीन, बजावै तीन
बात बड़ोॅ ई, बड़ा महीन ।
नाँती वास्तें बात बरोबर
की तबला, की ढोलक.टीन
बाजै बीन, बजावै तीन ।
बात बुझै लेॅ बिचला मामा
दौड़लै-लंका, तिब्बत, चीन
बाजै बीन, बजावै तीन ।
नानी सें जों बात पुछलियै
हुनका आवी गेलै नीन
बाजै बीन, बजावै तीन ।