भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नानी / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:58, 14 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह=बाजै...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अ सें अक्खज ऊ सें ऊन
नानी जैती देहरादून
क सें कौआ ख सें खाल
नानी केरोॅ गलै नै दाल
ग सें गुल्ली घ सें घूस
केना काटतै नानी पूस
च सें चुक्का छ सें छाल
चलतें रहै छै नानी गाल
ज सें जातोॅ झ सें झोंक
नाना भरगर नानी फोंक
ट सें टूसोॅ ठ सें ठूँठ
नानी सहै नै कटियो झूठ
ड सें डब्बू ढ सें ढोल
नानी रोॅ सब दाँते गोल
त सें तुमड़ी थ सें थान
नानी रोॅ नाँती जजमान
द सें दमड़ी ध सें धोॅन
नानी चूल-सनांठी सोॅन
न सें नाना प सें पान
नान्है पर नानी रोॅ ध्यान
फ सें फदकी ब सें बाँस
खनखन नानी सहै नै झाँस
भ सें भगतिन म सें माय
नानी हमरी सुद्धि गाय
य से युक्ति र सें रीत
नानी खैथौं गावै गीत
ल सें लट्ठी व सें वाह
नानी रोॅ चाय्ये पर चाह
स सें सुइया ह सें होॅर
नानी रहतें केकरोॅ डोॅर ।