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एक ख़बर / उमा शंकर सिंह परमार

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ताज़े अख़बार में
एक टुकड़े पर पड़ी
लावारिश लाश
हर पाठक का ध्यान खींच रही है
सरकारी रिकार्ड में
यह एक मामूली घटना है
एक बदचलन बीबी के पति की
शर्म से की गई आत्महत्या है

(अख़बार में छपी फ़ोटो के शब्द)

मैं आत्महत्या नही हूँ
एक निर्मम हत्या हूँ
क़र्ज़ ने चूस लिया
मेरी उम्मीदों का ख़ून
भूख ने मेरे सपनों को
चबा डाला है
मेरे मर्ज़ के मुकम्मल
इलाज में
व्यवस्था ने
आश्वासनों का
ओवरडोज़ दे डाला है