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पिया-पिया हो, सेज चलोॅ / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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पिया-पिया हो, सेज चलोॅ ।

छोड़ोॅ दिन के दुनियादारी
तन भी भारी, मन भी भारी
सुनोॅ बुलाबै छोॅन अटारी
बाकी बचलोॅ कल ही होतै
इखनी घर दिस तेज चलोॅ ।
पिया-पिया हो, सेज चलोॅ ।

दुख सहबोॅ, सुख साथ न छूटेॅ
केकरो खातिर कोय न रूठेॅ
की कुटवोॅ तन, हमरै कूटै
कत्तेॅ रंगबौ दुनियै ठो केॅ
घर सुधि ला, रंगरेज चलोॅ ।
पिया-पिया हो, सेज चलो ।