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जइहैं रे बदरिवा सजन क नगरिया / बैकुण्ठ बिहारी

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जइहैं रे बदरिवा सजन क नगरिया
लेलेॅ अइहैं हमरोॅ खबरिया
हमरा सें फेरी मुँह गेलै दूर देशबा
भुलियो नै भेजै एको संदेशवा
बड़ी रे निठुर भेलै हमरोॅ सांवरिया

सरंगोॅ के पंछी बाट के बटोहिया
सबसें पूछै छी रोजे रोकी-रोकी रहिया
कोय नै बतावै एको रे खबरिया

चिरकै पपीहा रे कुहकै कोयलिया
कानोॅ में घोलै जहरोॅ के गोलिया
आगिन लगावै ठण्डी-ठण्डी बयरिया

झर-झर झरै छै निशि-दिन नयनमा
लोर संग बहि-बहि गिरै छै अंजनमा
एको पल सूखै नै हमरोॅ चुनरिया

साज-सिंगार तनिको नहिं भावै
रातो भरी अॅखिया में नींदो नै आबै
तड़पै छी जेना जल बिना रे मछलिया

ऐना में आपनोॅ नै मुॅहमा चिन्हावै
बनी केॅ पिशाचिन हमरा डरावै
देहिया में बची गेलै खाली रे ठठरिया

सुती-उठी रोजे रहिया बुहारौं
भोरैं सें सांझ तलक बटिया निहारौं
नैन पथराय गेलै जोहतें डगरिया

अॅखिके लोर लेलेॅ जइहें श्याम घनमा
जाय केॅ बरसी जइहैं सइयाँ ऐंगनमा
लोरॉे सें भरी दीहैं हिया के गगरिया