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विनती / अमरेन्द्र

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हे भगवान, हे भगवान
माँगौं तोरा सेॅ ई दान
पोथी पर सेॅ हटै नै ध्यान
सागर नाँखी उमड़ेॅ ज्ञान
गलत काम मेॅ पकड़ौं कान
बाबू-माय के राखौं मान
बनौं जगत के सूरज-चान
भारतमाय के राखौं शान ।
नानी सेॅ गुहार
नानी, नानी पानी दे
गंदा छौ तेॅ छानी दे ।

भोरे दूध पिलैलोॅ कर
राती लोरी गैलोॅ कर
हमरे साथ नहैलोॅ कर
हमरे साथें खैलोॅ कर
चूलो चोटी बान्ही दे
भात-दाल सब रान्ही दे ।
 
की बोलै छैं ? गिनती गिन
सुनथैं माथोॅ भिन-भिन भिन
खेलभौ, रात हुवेॅ कि दिन
की करभैं होय्ये आगिन
पुल्ली-डंडा लानी दे
ऐंगन्हैं खच्चो खानी दे ।