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बारह बच्चा रोॅ घोॅर / अमरेन्द्र

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अक्कड़-बक्कड़ दू गो भाय
दोनों भाय केॅ चिन्ता खाय ।
एक भाय केॅ छोॅ गो पूत
माथा पर बनलोॅ छै भूत ।
दूजा केॅ छोॅ बेटी हाय
बैठली-बैठली खाली खाय ।
बारो वीर लड़का छै
घोॅर लागै कि लंका छै ।
दोनों बाप विभीषण रङ
बच्चा सब खरदूषण रङ ।
केकरौ लंघी, केकरौ थाप
दिन भर रहै गरजथैं बाप ।
घोॅर लगै छै मूसो बिल
या माथोॅ में खचखच ढिल ।