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सर्दी ऐलै / मृदुला शुक्ला

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सर्दी ऐलै, मोॅन मगन छै
गरम रजाय में गरम बदन छै
बड़ी भोररिया सूरज उठलै
आरो हमरोॅ घर पर ऐलै
घोर नींद में हम्में छेला
बहुत उठैलकै पर नै जगलां
पापा ऐलै फनू जगाय लेॅ
देर होय गेलै फनू जगाय लेॅ
बैठी रहलै हमरोॅ संग में
घेरलेॅ बच्चो होने रंग में
सुनतें रहलै कथा-कहानी
एक रजाय केॅ सब्भे तानी
दीदी बोरसी तापै छेलै
ठंड सें तहियो काँपै छेलै
नै जानौं की चुगली खैलकै
साटोॅ लेलेॅ मम्मी ऐलै
मम्मी ई रं गरजी पड़लै
नौ बजलै पोथी बिन पढ़लै
सब्भे बुतरु भागी गेलै
डांट अकेले पापा झेलै
पापा की सरदी तक हड़कै
मम्मी जखनी गरजै भड़कै
तखनी तेॅ बस एक्के रस्ता
पोथी घोकौ, ले केॅ बस्ता।