भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

षट्-ऋतु-हायकू / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:14, 11 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ' |अनुवा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मस्त ही मस्त
मानव व प्रकृत्ति
बसंत ऋतु ।

भीषण गर्मी
जीव-जंतु व्याकुल
ग्रीष्म ऋतु में ।

जल ही जल
जन्हैं देखोॅ तन्नहैं
पावस ऋतु ।

सुन्नर शशि
सुशीतल चाँदनी
शरद ऋतु ।

ठंड ही ठंड
जनजीवन पस्त
शीत ऋतु में ।