भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सच पेॅ संकट / महादेव ठाकुर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:40, 14 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महादेव ठाकुर |अनुवादक= |संग्रह=सच...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
काम अगर सरकारी छै
समय-खपत लाचारी छै
जनता के सेवक आबे
बडका ठो व्यापारी छै
भ्रष्टाचार के दलदल मेॅ
घूस आम बेमारी छै
सम्मानोॅ के चाहत मेॅ
कवि सच्चा दरवारी छै
'महादेव' धीरे बोलोॅ
सच पेॅ संकट भारी छै