Last modified on 28 फ़रवरी 2008, at 10:50

न बुलाओ तुम मुझे इस समय... / केदारनाथ अग्रवाल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:50, 28 फ़रवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=फूल नहीं रंग बोलते हैं / केदा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

न बुलाओ तुम मुझे इस समय अपने पास

खोदनी है अभी मुझे

आसपास उग आई बेकार विचारों की घास,

तोड़ने हैं मुझे अभी

भाव की भूमि की कुंठा के बाँस,

जोड़नी है मुझे अभी

टूट चले जीवन की एक-एक साँस !

न बुलाओ तुम मुझे इस समय अपने पास !