यह न सोचो कल क्या हो कौन कहे इस पल क्या हो
रोओ मत, न रोने दो ऐसी भी जल-थल क्या हो
बहती नदी की बांधे बांध चुल्लू मे हलचल क्या हो
हर छन हो जब आस बना हर छन फ़िर निर्बल क्या हो
रात ही गर चुपचाप मिले सुबह फ़िर चंचल क्या हो
आज ही आज की कहें-सुने क्यो सोचे कल, कल क्या हो