गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 29 फ़रवरी 2008, at 11:01
टूटी हिम की टेक / केदारनाथ अग्रवाल
अनिल जनविजय
(
चर्चा
|
योगदान
)
द्वारा परिवर्तित 11:01, 29 फ़रवरी 2008 का अवतरण
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=फूल नहीं रंग बोलते हैं / केदा...)
(अंतर) ← पुराना अवतरण |
वर्तमान अवतरण
(
अंतर
) |
नया अवतरण →
(
अंतर
)
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
केदारनाथ अग्रवाल
»
फूल नहीं रंग बोलते हैं
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
टूटी हिम की टेक
हिंडोले वन के डोले,
जागे जोगी शैल
मनोभव लोचन खोले ।
लोल हुई कल्लोल कामिनी कूल सुहाए
गूँज छैव के छंद क्षमा के ऋतुपति आए ।