भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बाबा और तानपूरा / विवेक निराला
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:05, 1 जुलाई 2016 का अवतरण
निराला जी के पुत्र रामकृष्ण त्रिपाठी के लिए
घर के एक कोने में
खड़ा रहता था
बाबा का तानपूरा
एक कोने में
बाबा पड़े रहते थे
तानपूरा जैसे बाबा
बाबा पूरे तानपूरा
बुढ़ाते गए बाबा
बूढ़ा होता गया तानपूरा
झूलती गई बाबा की खाल
ढीले पड़ते गए
तानपूरे के तार
तानपूरे वाले बाबा
बाबा वाला तानपूरा
असहाय नहीं है
इनमें से कोई भी
बल्कि हमारी पीढ़ी में ही
कोई साधक नहीं हुआ