रिश्ता लिफ़ाफ़े में सिमटा हुआ / मुकेश कुमार सिन्हा
ईमेल एसएमएस की दुनिया में
डाकिये ने पकड़ाया लिफाफा
22 रुपए के स्टेम्प से सुसज्जित
भेजा गया था रजिस्टर्ड पोस्ट
पते के जगह, जैसे ही दिखी
वही पुरानी घिसी पिटी लिखावट
जग गए, एक दम से एहसास
सामने आ गए, सहेजे हुए दृश्य
वो झगड़ा, बकबक, मारपीट
सब साथ ही दिखा,
प्यार के छौंक से सना वो
मनभावन, अलबेला चेहरा
उसकी वो छोटी सी चोटी,
उसमे लगा काला क्लिप जो होती थी,
मेरे हाथों कभी
एक दम से आ गया सामने
उसकी फ्रॉक, उसका सैंडल
ढाई सौ ग्राम पाउडर से पूता चेहरा
खूबसूरत दिखने की ललक
एक सुरीली पंक्ति भी कानों में गूंजी
“भैया! खूबसूरत हूँ न मैं??”
हाँ! समझ गया था,
लिफाफा में था
मेरे नकचढ़ी बहना का भेजा हुआ
रेशमी धागे का बंधन
था साथ में, रोली व चन्दन
थी चिट्ठी...
था जिसमे निवेदन
“भैया! भाभी से ही बँधवा लेना!
मिठाई भी मँगवा लेना!!”
हाँ! ये भी पता चल चुका था
आने वाला है रक्षा बंधन
आखिर भाई-बहन का प्यारा रिश्ता
दिख रहा था लिफाफे में...
सिमटा हुआ...!!!