भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हादसा / शहनाज़ इमरानी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:16, 10 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शहनाज़ इमरानी |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक हादसा हुआ
कहाँ हुआ क्यों हुआ
इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है

हादसे के बाद
दूसरे हादसे का इन्तज़ार
ज़्यादा नहीं करना पड़ता

कुछ नाकें सूँघ सकती हैं
कुछ आँखें पढ़ सकती है
कुछ साँसें तेज़ होकर
इज़हार करती हैं
और कुछ साँसे
मुतावातिर चलती रहती हैं।