डरो न / सुकुमार राय
डरो नहीं, भय करो न भाई
नहीं तुम्हें मारूँगा
सच कहता हूँ कुश्ती हो गर
मैं तुमसे हारूँगा।
बड़ा ही नरम है मेरा दिल
नहीं छू गया गुस्सा
मेरे बस की बात नहीं है
खा लूँ मानुष तुम-सा।
स्यात् भयानक सींग देखकर
भय तेरे अन्तर में
सींग नहीं मारता किसी को
दर्द रहे है सर में।
आओ मेरी माँद में आओ
दो दिन रहकर जाना
छींके पर रक्खेंगे तुमको
बड़े प्यार से राना।
नहीं रहोगे यहाँ देखकर मेरे
हाथ में मुगदर?
मेरा मुगदर बिलकुल पोला, चोट
लगेगी क्योंकर?
अभय दे रहा हूँ, तू फिर भी नहीं
सुने है मेरी
तेरे सिर पर चढ़कर बैठूँ, टाँग
खींच लूँ तेरी?
मैं हूँ, मेरी बीवी है, और पूरे
नौ हैं लड़के
मिलकर तुम्हें भँभोड़ेंगे जो बिला वजह
तुम हड़के।
सुकुमार राय की कविता : भय पेयो ना (ভয় পেয়ো না) का अनुवाद
शिव किशोर तिवारी द्वारा मूल बांग्ला से अनूदित