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हाँ, सदी की आखिरी पूनो / सुनो तथागत / कुमार रवींद्र
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कह रहे तुम -
चाँद का देखें करिश्मा
भाई, पहले बत्तियाँ ये गुल तो हों
हाँ, सदी की आखिरी पूनो
तुम्हें लगती नई है
इस गली में बंद यह आकाश
लेकिन सुरमई है
यहाँ उतरेगी
दिलों में चाँदनी कल
नेह के पहले यहाँ पर पुल तो हों
सूर्य बनने की ललक है
इस शहर की बत्तियों में
कौन देखे चाँद का रोमांस
होता पत्तियों में
दूर चाँदी की
नदी बहती अकेली
डूबने को हम सभी व्याकुल तो हों
एक पल, हाँ, चाँद का
हमको मिला था बहुत पहले
सुनें हम सुर
चाँदनी के गान के मीठे रुपहले
रात में जो
आँसुओं की बात कहती
भाई, पहले हम वही बुलबुल तो हों