ज़रूरी पत्रों का खोना / शहंशाह आलम
कितने हिंसक होते हैं वे जरूरी पत्र
जो गुम हो जाते हैं हाथों में आने से पहले
जिस तरह जरूरी पत्रों का गुमना
कोई आश्चर्य या अद्भुत अर्थ नहीं रखता
उसी तरह हमारी यंत्रणा भी कोई मायने नहीं रखती उनके लिए
सिर्फ चन्द जरूरी पत्र ही गुम नहीं हो जाते हमारे जीवन से
कुछ दूसरी जरूरी चीजें भी गुम हो जाती हैं
बची रह जाती हैं सड़ांध पैदा करने वाली
इच्छाएँ और उत्तेजनाएँ
रोज कितनी ही विशाल योजनाएँ हमें चकाचौंध करती हैं
सरकारी फरमानों से निकल कर सारी योजनाएँ
गुम हो जाती हैँ आर्थिक संकटों के बीच
गुमने के नाम पर सिर्फ जरूरी पत्र ही नहीं गुमते
हमारे जीवन से हमारे समय से
गुम जाते हैं शब्द
गुम जाते हैं लेटरबाक्स
गुम जाते हैं पेड़
गुम जाते हैं खनिज
गुम जाते हैं पिता
गुम जाते हैं लोगबाग
जाने कितनी कितनी बार जरूरी चीजें खोईं
जाने कितनी कितनी बार जरूरी पत्र खोए।