भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ई देश के जवानी/ अनिरुद्ध प्रसाद विमल

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:01, 19 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिरुद्ध प्रसाद विमल |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ई देश के जवानी चल्लोॅ गेलोॅ छै कहाँ
बर्बादी सें वतन केॅ कोय बचावै छै कहाँ

आपनोॅ ही देशोॅ में वीरानोॅ होय गेलै सभ्भे
लोर पोछी केॅ हिरदय सेॅ कोय लगावै छै कहाँ

अब्दुल हमीद, धरती गोविन्दो भी कानै छै
मंदिर केॅ मस्जिदोॅ सें कोय जुड़ावै छै कहाँ

भिड़लोॅ छे कैक लोग यहाँ देश तोड़ै में
माथा सें देश-माँटी कोय लगावै छै कहाँ

आदमी के भीतर के मरी गेलोॅ छै आदमी
आबेॅ आदमी मरै सें कोय बचावै छै कहाँ ?