Last modified on 25 जुलाई 2016, at 07:22

छूना ही पाना है / बोधिसत्व

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:22, 25 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बोधिसत्व |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

छूना ही पाना है
नाम लिखना ही पुकारना
याद करना ही मिलना है
दुराव ही घात है
भूलना ही मृत्यु है
अस्वीकार ही स्वतन्त्रता है
हाँ ही एक आकार होना है
सोचना ही जागना है
चुप रहना ही चुक जाना है
सहना ही मिटना है
निकलना ही चले जाना है
गुनना ही गाना है
छूना ही पाना है।