Last modified on 20 मार्च 2008, at 01:17

तुम मेरे लिए नहीं... / केदारनाथ अग्रवाल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:17, 20 मार्च 2008 का अवतरण (new)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुम मेरे लिए नहीं हो-- न हो सकती हो

कि मैं अंगुलियों से हवाएँ काटता रहता हूँ

ख़ुशनसीब हैं वह उड़ते चले जा रहे पखेरुओं के जोड़े

मेरी दिशा से ठीक विपरीत जिनकी दिशाएँ हैं ।