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घंटियों की आवाज़ से घायल / केदारनाथ अग्रवाल

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घण्टियों की आवाज़ से घायल

कराहता,

आह भरता

धृष्ट अंधकार

बेघरबार

नापता डगों से वार-पार

ठहर गया है

संसार के ऊपर

(जैसे शोक का अशुभ समाचार)