भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धिताल बाटो / सुलोचना मानन्धर

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:58, 26 जुलाई 2016 का अवतरण (' {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुलोचना मानन्धर |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


शून्य ठाउँमा
एउटा बाटो बनाएँ
बाटो न हो, त्यसलाई कुल्चेँ
हिँडे
गन्तव्यमा
म पुगेँ कि पुगिनँ
कुन्नि
म आफैँ नै बाटो भइसकेको पाएँ ।