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प्रभु जी मेरे अवगुन चित ना धरो / इंदीवर

आता लबों पे नाम तेरा बार-बार क्यूँ?

है रोज़ सुबह शाम तेरा इंतज़ार क्यूँ।।

नाजुक तरी निगाह, बड़े नाज की पली।
ऎसी भली निगाह से दिल का शिकार क्यूँ।।

मेरे क़रीब आ तू मेरे और भी क़रीब।

दो दिल न मिल सके तो हुईं आँखें चार क्यूँ।।