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एक कविता / रमेश रंजक
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अगर मेरी जीभ काट ली जाय
तो मेरा तना हुआ मुक्का
मेरी कविता होगी।
यदि मेरे हाथ काट लिए गए
तो मेरी तनी हुई रीढ़
मेरी कविता होगी।