Last modified on 12 अगस्त 2016, at 08:15

नया साल मेॅ / नवीन निकुंज

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:15, 12 अगस्त 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवीन निकुंज |अनुवादक= |संग्रह=जरि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सुरजोॅ रोॅ नयकी किरण संग
ऐलै फेरु सेॅ नया वर्ष
मधुघट लै उतरी ऐलै
आँखी में जित्तोॅ स्पर्श
सुर, धुन, ताल नया पावी
जीवन-गीत बजै बिन बाधा
थिरकै मन रोॅ कोना-कोना
इच्छा के सब पुलकित राधा
सब देव यहाँ उतरै बोलै
धरती के देव-नरµदेवेश
मन भीतर मेॅ ब्रह्मांड बसै
वेद-उपनिषद के संदेश
नई कल्पना, नई भावना
बनेॅ जगत के यान
आरो सारथी कर्म कृष्ण हुवेॅ
पूरेॅ सबके सब अरमान ।