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नया साल मेॅ / नवीन निकुंज
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सुरजोॅ रोॅ नयकी किरण संग
ऐलै फेरु सेॅ नया वर्ष
मधुघट लै उतरी ऐलै
आँखी में जित्तोॅ स्पर्श
सुर, धुन, ताल नया पावी
जीवन-गीत बजै बिन बाधा
थिरकै मन रोॅ कोना-कोना
इच्छा के सब पुलकित राधा
सब देव यहाँ उतरै बोलै
धरती के देव-नरµदेवेश
मन भीतर मेॅ ब्रह्मांड बसै
वेद-उपनिषद के संदेश
नई कल्पना, नई भावना
बनेॅ जगत के यान
आरो सारथी कर्म कृष्ण हुवेॅ
पूरेॅ सबके सब अरमान ।