Last modified on 12 अगस्त 2016, at 08:20

प्रेम / नवीन निकुंज

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:20, 12 अगस्त 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवीन निकुंज |अनुवादक= |संग्रह=जरि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ताहरोॅ आँख
देखतें-देखतें
ई की होल्है
कि हठाते मुनी गेलोॅ छै
हमरोॅ दुन्हू आँख
आरोॅ खुली गेलोॅ छै-तेसरोॅ आँख
जेकरा में
हम्मी जली रहलोॅ छी
हम्मी कामदेव।