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बना रे बागां में झुला घाल्या / राजस्थानी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

1.
बना रे बागां में झुला घाल्या
म्हारे हिवडे री, म्हारे जिवड़े री, म्हारे मन डे री कोयल बोले झुला छैल भंवरसा
म्हारे मन डे री कोयल बोले झुला छेल भंवरसा

गोरी ऐ बागां में झुला घाल्या
म्हारे हिवडे रो , म्हारे जिवड़े रो , म्हारे मनडे रो मोरियो नाचे झुला जान कंवरसा
म्हारे मनडे रो मोरियो नाचे झुला जान कंवरसा

बना रे फागण री रुत आई
मैं लुक छिप, मैं छुप छुप, मैं छाने छाने आई , म्हारा छैल भंवरसा
मैं छाने छाने आई , म्हारा छैल भंवरसा

गोरी ऐ रंग गुलाबी थारो
थारे नैणा सूं, थारे गालां सूं , थारे होठा सूं रंग मन म्हारो म्हारी जान कंवरसा
थारा होठा सूं रंग मन म्हारो म्हारी जान कंवरसा

बना रे रंग में रंग रळ जावे
जद मनडे सूं, जद तनडे सूं, जद मन डे सूं मन मिल जावे म्हारा छैल भंवरसा
जद मन डे सूं मन मिल जावे म्हारा छैल भंवरसा

गोरी ऐ प्रीत री डोर न टूटे
इण जनम ने, ऊण जनम ने, सौ जनम में साथ न छूटे म्हारी जान कंवरसा
सौ जनम में साथ न छूटे म्हारा छैल भंवरसा
सौ जनम में साथ न छूटे म्हारी जान कंवरसा

2.
बन्ना रे बागा में झूला डाल्या, म्हारी बन्नी ने झूलण दीजो बन्ना गेन्द गजरा.
बन्ना रे बाग में झूला डाल्या, म्हारी लाडी ने झूलण दीजो बन्ना गेन्द गजरा.
बन्ना रे जैपुरिया ते जाज्यो, म्हारी बन्नी ने रखदी ल्याइजो बन्ना गेन्द गजरा.
बन्ना रे कोटा बून्दी जाज्यो, म्हारी लाडी ने लहेरिओ ल्याइजो बन्ना गेन्द गजरा
बन्ना रे चूडीगड ते जाज्यो, म्हारी लाडी ने चुड्लो ल्याइजो बन्ना गेन्द गजरा.