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ज़ंग लगे दरवाज़े / रमेश रंजक

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सच कह गई ज़ुबान सफ़र में
दुश्मन हुए महान ! सफ़र में।

सारे दुख हम सहते रहते
एक आग में दहते रहते
निशि-दिन एक समान सफ़र में।

जिस दिन दुख ने शब्द टटोले
ज़ंग लगे दरवाज़े खोले
काँप गए प्रतिमान सफ़र में।

(राग तोड़ी पर आधारित गीत)