चाह की ऊंचाई पर
मन भी कैसा है
कैसा है आईना
पूरी तरह कोई
मन को ही बना देता है आईना
आईना को सौंपोगे कुछ
न इंकार करेगा न स्वीकार।
आईना से मांगोगे कुछ
लेगा नहीं कुछ, न ही देगा
फेंकेगा नहीं कुछ
कैसा है आईना
मन कैसा है
चाह की ऊंचाई पर ...
चाह की ऊंचाई पर
मन भी कैसा है
कैसा है आईना
पूरी तरह कोई
मन को ही बना देता है आईना
आईना को सौंपोगे कुछ
न इंकार करेगा न स्वीकार।
आईना से मांगोगे कुछ
लेगा नहीं कुछ, न ही देगा
फेंकेगा नहीं कुछ
कैसा है आईना
मन कैसा है
चाह की ऊंचाई पर ...