भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

समय का पहिया (कविता) / गोरख पाण्डेय

Kavita Kosh से
125.17.188.70 (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 15:28, 11 अप्रैल 2008 का अवतरण (New page: समय का पहिया चले रे साथी समय का पहिया चले फ़ौलादी घोंड़ों की गति से आग ब...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

समय का पहिया चले रे साथी समय का पहिया चले फ़ौलादी घोंड़ों की गति से आग बरफ़ में जले रे साथी समय का पहिया चले रात और दिन पल पल छिन आगे बढ़ता जाय तोड़ पुराना नये सिरे से सब कुछ गढ़ता जाय पर्वत पर्वत धारा फूटे लोहा मोम सा गले रे साथी समय का पहिया चले उठा आदमी जब जंगल से अपना सीना ताने रफ़्तारों को मुट्ठी में कर पहिया लगा घुमाने मेहनत के हाथों से आज़ादी की सड़के ढले रे साथी समय का पहिया चले (अधूरी है)