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रस्ता-पैरा पर नै / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'

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रस्ता-पैरा पर नै फेकोॅ भाँसोॅ-कूसोॅ।
नै फेकोॅ धोखा से भी कोय थूक-खखासोॅ।

बोढ़ी-सोढ़ी घोॅर, दीया-बत्ती जे बारै
हौ घर में देवता-पित्तर के छै बासोॅ।

लदर-बदर कोना-कातर कोठी सान्हीं जों
उ घर में परकै छै मोटका-मोटका मूसोॅ।

समझैला पर साफ-सफाई जे नै राखै
माय-दाय देहरी पर जायके ओकरा दूसोॅ।

चिक्कन-चाक्कन रखला से चकचक मनसूआ
मँुह से गिरलोॅ नीमचूस पोछी के चूसोॅ।