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एक पूरी उम्र / मलखान सिंह
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यक़ीन मानिए
इस आदमख़ोर गाँव में
मुझे डर लगता है
बहुत डर लगता है।
लगता है कि बस अभी
ठकुराइसी मेंढ़ चीख़ेगी
मैं अधसौंच ही
खेत से उठ जाऊँगा
कि अभी बस अभी
हवेली घुड़केगी
मैं बेगार में पकड़ा जाऊँगा
कि अभी बस अभी
महाजन आएगा
मेरी गाड़ी-सी भैंस
उधारी में खोल ले जाएगा
कि अभी बस अभी
बुलावा आएगा
खुलकर खाँसने के
अपराध में प्रधान
मुश्क बाँधकर मारेगा
लदवाएगा डकैती में
सीखचों के भीतर
उम्र भर सड़ाएगा।