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ए वतन के शहीदों नमन / लक्ष्मीशंकर वाजपेयी
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Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:04, 1 अक्टूबर 2016 का अवतरण (लक्ष्मीशंकर जी का गीत सर झुकाता है तुमको वतन)
ऐ वतन के शहीदो नमन
सर झुकाता है तुमको वतन।
जिंदगी सामने थी खड़ी
लेके सौगातें कितनी बड़ी
सबको ठोकर लगा चल दिए
मौत का हंस के करने वरण
अपने पूरे ही परिवार के
तुम ही खुशियों के आधार थे
इक वतन की खुशी के लिए
हर खुशी तुम ने कर दी हवन
सर झुकाता है तुमको वतन।
जो उठाई थी तुमने क़सम
देश की आन रक्खेंगे हम
अपने प्राणों की बाज़ी लगा
खूब तुमने निभाया वचन
अपने लहू से तुमने लिखा
इक महाकाव्य बलिदान का
पीढ़ियों तक जो सिखलाएगा
जीने मरने का सबको चलन
सर झुकाता है तुमको वतन।