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वक़्त बीमार है / चिराग़ जैन
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Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:20, 2 अक्टूबर 2016 का अवतरण (चिराग़ जैन की कविता वक़्त बीमार है)
वक़्त बीमार है
Short term memory loss का पुराना मरीज़
कुछ याद ही नहीं रह पाता इसको
लिख-लिख कर
मुश्क़िल से याद रख पाता है
बड़ी से बड़ी बात
मैंने अक्सर देखा है वक़्त को
अपनी ही लिखी पर्चियों
के बीच
उलझे हुए
इतिहास की किताबों में
किसी क़िरदार की
सबसे सही पहचान तलाशते हुए
सुना है
वक़्त को धोखा देने के लिये
किसी ने जला डाली थीं
कुछ महत्वपूर्ण पर्चियाँ
…तब से
बौराया-सा फिर रहा है बेचारा
अपनी ही पर्चियों पर
संदेह करने को विवश!