वास्तव में
स्वर्ग की कल्पना करना
मुश्किल है
स्वर्ग को
देखने के लिए
बस, आँख बन्द करना ही काफ़ी है
स्वर्ग उभर आएगा
हमारी पलकों के नीचे
हमारा ही इन्तज़ार हो रहा है
स्वर्ग में
और किसी का नहीं
फिर सुबह-शाम उड़ेंगी दावतें
समुद्र के किनारे बसे उस शहर में
जहाँ नींद नहीं आएगी कभी
फिर आप सुनेंगे
ख़ुद से दूर गूँजने वाली आवाज़ें
दूर और पास की आवाज़ें
कान के परदे को कँपाती हुई
लेकिन यह भी
एक भूलभुलैया है
अन्धेरे में बजता हुआ एक ढोल
आधे रास्ते हाथ आया एक शून्य
और दिल में बसा मौन।
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय