यह हवा का जहाज
यात्रा
यह उड़ान
यह खिड़की बादलों में,
मैं हूँ
अगर मूंद लो अपनी आँखें तुम एक पल
वह आवाज तुम्हारे मन में
जिसका नहीं कोई चेहरा,
29.12.2004
यह हवा का जहाज
यात्रा
यह उड़ान
यह खिड़की बादलों में,
मैं हूँ
अगर मूंद लो अपनी आँखें तुम एक पल
वह आवाज तुम्हारे मन में
जिसका नहीं कोई चेहरा,
29.12.2004