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जिसका नहीं कोई चेहरा / मोहन राणा

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यह हवा का जहाज

यात्रा

यह उड़ान

यह खिड़की बादलों में,

मैं हूँ

अगर मूंद लो अपनी आँखें तुम एक पल

वह आवाज़ तुम्हारे मन में

जिसका नहीं कोई चेहरा,


29.12.2004