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आजा-बे हीरा मोर जोहथों रद्‍दा तोर / छत्तीसगढ़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आजा-बे हीरा मोर
आजा-बे हीरा मोर
जोहथों रद्‍दा तोर
थाड़े घठोंधा मा रे

असाढ़ करथे घुरुर-घारर
सावन म बरसे झिमिर-झामर
तोर सुरता म रो रो-के
बोहागे आंखी के काजर
भींजगे लुगरा के छोर

सुहावे नहीं अंगना घर-दुवार
बिरखाहे सुर सिंगार
तोर बिना चारो कोती
लगथे कुलुप अंधियार
आके कर दे अंजोर

आँसू चल-थे झर-झरझर
हिरदे कांपे थर-थरथर
बिन धारन कस पटिया
हो-गेंव में निचट अधर
कब-ले भेजबे खबर सोंच

आजा-बे हीरा मोर
आजा-बे हीरा मोर
जोहथों रद्‍दा तोर
थाड़े घठोंधा मा रे