भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चिड़िया का ब्याह / दिविक रमेश
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:21, 29 अप्रैल 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिविक रमेश |संग्रह=खुली आँखों में आकाश / दिविक रमेश }} च...)
चिड़िया की
बारात नहीं आती
चिड़िया पराई
नहीं हो जाती
चिड़िया का
दहेज नहीं सजता
चिड़िया को
शर्म नहीं आती
तो भी
चिड़िया का ब्याह हो जाता है
चिड़िया के ब्याह में
पानी बरसता है
पानी बरसता है
पर चिड़िया
कपड़े नहीं पहनती
चिड़िया
नंगी ही
उड़ान भरती है
- नंगी ही
- भरती है
- उड़ान
- चिड़िया
चिड़िया
आत्महत्या
नहीं करती।