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भले काम / अलिक्सान्दर याशिन / रामनाथ व्यास ’परिकर’

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मुझे पुत्रवत उसने पाला,
था सौतेला बात, पर सभी भाँति था देखा-भाला
और इसी से मुझ में,
कभी-कभी करुणा मन में जागती ऐसी विह्वलता —
इसके प्रतिफल को कैसे चुका सकता !

था जब वह मन्द व शान्त मरण शय्या पर
बताती है माँ मेरी यह —
दिन पर दिन वह
यही कहता व प्रतीक्षा करता —
यदि बेटा आ जाए...तो मैं स्वस्थ हो सकता !

बेघर बुढ़िया जो रहती निज गाँव में,
कहा मैंने — जाने क्यों इतना करता प्यार मैं,
बड़ा होने पर घर उसका बना दूँगा,
ढेर सारी रोटी जुटा दूंगा।

सपने तो बहुत लिए
वादे भी कई किए...
जब हुई लेनिनग्राद की घेराबन्दी
तो मैं उस बूढ़े को बचा लेता
अगर एक दिन पहले पहुँच जाता,
किन्तु ऐसा गया दिन
सदियों में नहीं आता।

फिर ज़िन्दगी की हज़ार राहों से गुज़रा —
रोटी ख़रीदने योग्य हुआ, घर भी नया बना सकता ...
नहीं सौतेला बाप रहा,
औ बुढ़िया ने प्राण तजा...

ले काम में नहीं देर लगा !
 
मूल रूसी से अनुवाद : रामनाथ व्यास ’परिकर’