भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मधुबन के छैला बाबू / मुरली चंद्राकर
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:43, 24 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुरली चंद्राकर |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
ऐ छैला बाबू आतो आतो आना
ऐ छैला बाबू एती एती आना
छैला बाबू आते जाते रिबे मोर गाँव
डोंगरी के ओपार मौहारी भाठा हे
झुंझकुर मयारू मौहा छाव छाँव, छैला बाबू
छैला बाबू आते जाते रिबे मोर गाँव
मन के मिलैया उहा कतको मोट्यारी हे
दिल के देवैया उहा कतका दोसदारी हे
लहुट के आथे उलटो पांव पांव, छैला बाबू
छैला बाबू आते जाते रिबे मोर गाँव
कोनो कैथे राधा मोला कोनो कैथे रंगरेली
कोनो कहिथे बाधा मोला, कोनो कहिथे बेलबेलही
चेलिक मन लेथे रधिया नांव नांव, छैला बाबू
छैला बाबू आते जाते रिबे मोर गाँव